टू ग्रेट मास्टर्स वेब सीरीज से आध्यात्मिक जीवन शैली को युवाओ तक पहुँचाना है – अमृत गुप्ता

अमृत गुप्ता की किताब टू ग्रेट मास्टर्स बड़ी संख्या में लोगों को पसंद आई। स्वामी विवेकानंद और परमहंस योगानंद के चरित्र से प्रेरित ये किताब इतना प्रसिद्ध हुई कि आखिरकार निर्देशक अनुराग शर्मा इसी किताब के ऊपर भारत की पहली आध्यात्मिक वेब सीरीज टू ग्रेट मास्टर्स की शुरुआत कर चुके हैं। इसका निर्माण जूनी फिल्म्स और एप्रोच एंटरटेनमेंट कर रहे हैं। इसके साथ ही प्रमुख आध्यात्मिक संस्था गो स्पिरिचुअल इंडिया भी इसमें सहयोग कर रही है। वेब सीरीज की शूटिंग देश भर की खूबसूरत लोकेशन्स पर चल रही है। वेब सीरीज के बहाने किताब ‘ टू ग्रेट मास्टर्स’ और इस किताब के लेखक अमृत गुप्ता फिर से सुर्खियों में हैं। टू ग्रेट मास्टर्स को लेकर एप्रोच बॉलीवुड से अमृत गुप्ता जी की बात हुई उसके कुछ अंश आपके लिए पेश हैं।

टू ग्रेट मास्टर्स के बारे में बताइए
स्वामी विवेकानंद और परमहंस योगानंद दोनों के किरदारों में मुझे काफी समानता मिली। स्वामी विवेकानंद ने दुनिया भर में हिंदुत्व और भारतीय आध्यात्म की जमीन तैयार कर ली थी। मगर परमहंस योगानंद ने इसे सींचने और आगे बढ़ाने का काम किया। दुनिया भर में उनके मानने वाले लोगों का प्रचार प्रसार हुआ। उन्होंने क्रिया योग और ध्यान योग के ज्ञान को करोड़ों अनुयायियों तक पहुंचाने का काम किया। इस किताब को लिखने पीछे ये ही उद्देश्य था कि उनकी शिक्षाओं को नई पीढ़ी के बच्चों और युवाओं तक पहुंचाने का प्रयास किया है। जिंदगी को सबसे ज्यादा सफल तरीके से कैसे जिया जा सकता है। ये ही समझाने के लिए इन दोनों शिक्षकों की जीवनी का सार लिया गया है।
योगानंद की शिक्षा को इस दौर में कैसे समझा या सीखा जा सकता है?
परमहंस योगानंद ने अपने शिष्यों और अनुयायियों के लिए इतना सारा साहित्य लिख दिया है कि उनके शिष्यों के सभी सवालों और आशंकाओं का समाधान इस साहित्य में मिल जाता है। जिन लोगों के पास पढ़ने का वक्त नहीं होगा उनके लिए वीडियो और ऑडियो फॉर्मेट में भी सारा साहित्य उपलब्ध होगा।
स्वामी विवेकानंद और परमहंस योगानंद के बीच क्या समानता दिखती है
दोनों का काम काफी हद तक एक जैसा था। दरअसल विवेकानंद के पास पर्याप्त समय नहीं था। उनकी मृत्यू काफी कम आयू में हो गई थी। इसीलिए एक तरह से उनका आगे का काम ही परमहंस योगानंद ने किया। उनके जाने के बाद भी आध्यात्म और परोपकार का काम बेरोकटोक चलता रहे, इसीलिए योगानंद ने योगदा सत्संग सोसायटी ऑफ इंडिया की स्थापना की थी। 1893 में स्वामी विवेकानंद विश्व धर्म सम्मेलन में सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए अमेरिका के शिकागो गए थे। इसी वर्ष परमहंस योगानंद का जन्म हुआ था। अलबत्ता स्वामी विवेकानंद को पता चल गया था कि परमहंस योगानंद का जन्म हो चुका है। उनकी कहानी ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी में इसका जिक्र मिलता है। कोई सज्जन उनके पास आए और वो उन्हें अपना गुरु बनाना चाहते थे। तब स्वामी विवेकानंद ने बताया कि मै आपका गुरु नहीं हूं। आपके गुरु बाद में आएंगे। वो आपको अपनी शिक्षाएं देंगे। भारत के ये दोनों महान गुरु आपस में जुड़े हुए हैं।

आध्यात्म की ओर आपका रुझान कैसे हुआ
आध्यात्म के पथ की ओर मेरा रुझान सबसे पहले 1986 में हुआ। संस्थान से जुड़ने के कुछ महीनों बाद मुझे कहीं से सुनने में आया कि स्वामी विवेकानंद के द्वारा शुरु किया गया काम ही योगानंद ने पूरा किया है। इसी वाक्य ने मुझे दोनों के बारे में पढ़ने के लिए एक इशारा मिला। योगानंद को मैने अपना गुरु मान लिया। हालांकि उनसे मिलने का सौभाग्य कभी नहीं मिला क्योंकि वो 1952 में ही शरीर पूरा कर चुके थे। मगर उनके साहित्य आदि के जरिए मुझे उन्हें समझने का मौका मिला।
टू मास्टर्स लिखने का विचार आपके मन में कब आया?
2009 में मुझे इस किताब को लिखने का विचार आया। मैने योगदा सोसायटी से अपना आइडिया शेयर किया और उन्होंने इजाजत दे दी। लगभग तीन सालों में जाकर ये किताब लिखी जा सकी। फिलहाल ये किताब हिंदी और अंग्रेजी में बाजार में उपलब्ध है। टू ग्रेट मास्टर्स को 80 प्रतिशत बांग्ला में भी अनुवाद किया जा चुका है। मगर अभी ये काम पूरा नहीं हुआ है।

भारत की पहली आध्यात्मिक वेब सीरीज से जुड़कर कैसा लग रहा है
जब इस किताब को धारावाहिक की शक्ल में दर्शकों तक पहुंचाने का विचार मुझे पता चला तो मुझे काफी खुशी हुई। हालांकि इस सीरीज की स्क्रिप्ट सीरीज निर्देशक अनुराग शर्मा ने ही लिखी है। मगर फिर भी मैने भी स्क्रिप्ट तैयार करने में मदद की है। अनुराग ने इस किताब को बेहद शांती के साथ पढ़ा और मुझे बेहद खुशी हुई कि उन्होंने इतनी अच्छी तरह से इस सीरीज की स्क्रिप्ट को तैयार किया है। जब उन्होंने मुझे स्क्रिप्ट दिखाई तो इसे पढ़कर मुझे बेहद खुशी मिली।
युवाओं के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे
शादी के बाद जीवन पूरी तरह बदल जाता है। युवाओं को शादी से पहले एक बार आध्यात्म को समझने का प्रयास करना चाहिए। इस वेब सीरीज में भी आपको यही कथानक देखने को मिलेगा। अगर आप टू ग्रेट मास्टर्स सीरीज को पूरी तरह देखेंगे तो आप इस के उद्देश्य को समझ पाएंगे।
